हिंदी दिवस पर हम आपके लिए वीर रस की कविताएं लाए हैं जो आपको बहुत पसंद आएगी हिंदी हमारी मातृभाषा है|
(1) दशरथ मांझी और पहाड़
तोड़ दो पत्थर तू मांझी,
पत्थर कह रहा अट्टहास कर,
रास्ता तेरा रोक खड़ा हूँ,
बल हो तो विनाश कर,
तू है ठहरा एकल प्रयत्नी
कहां तेरी मानव कौम है,
जबाब दे तेरे बंधु है कहाँ,
और अब तू क्यों मौन है।
जो उत्साह से कुदाल गिरती,
और चोट करती फिर शिला पर,
और शिला फिर हँस कर कहती,
है तेरी इतनी औकात भर
तूने दिशा दी नही मुझे,
मैं तुझे दिशाहीन कर दूं
मेरे भुजबल को तू क्या नापेगा,
मैं तुझे कंकड़ सा महीन कर दूं,
मैं ईश्वर का अंश हूं,
तू मात्र है एक निर्जीव संरचना,
मन मे उठे विचारों से,
पर्वतराज तू बच कर रहना,
तूने मुझसे छीन लिया,
जिससे मुझको प्रेम था,
अब मैं तुझसे छीन लूंगा
जिससे तेरा अस्तित्व है।
2) माँ के किए 2 शव्द
बहन छोटी को माँ मेरा प्यार दे देना,
आएगा भाई लौट ये दुलार दे देना,
इस हवा की रूह में मैं जो एक बात बोलता हूँ,
मैं सबसे ऊँची चोटी पर ये रक्षा सूत्र खोलता हूँ ।
भाई से मेरे कहना के ये परिपाटी अमर रहे ,
लाख कटें शीश पर ये माटी अमर रहे ,
बोलना कि वीरता कभी मरा नहीं करती ,
और कायरों पर पीढियाँ गर्व करा नहीं करती ।
माँ वालिद से मेरे कहना मैं पुत्र धर्म निभा ना सका,
मैं बुढ़ापे का उनका बन एक सहारा आ ना सका ,
लेकिन करें महसूस मुझे, जब देखें अमर फिज़ाओं को,
और आँखो में आँसू ना हो बस हो सल्यूट चिताओं को ।
माँ अंतिम बची है बात वो भी आज बोलता हूँ ,
खून से लिखा है पत्र खून को ही घोलता हूँ,
माँ मेरे जाने के बाद सरकारी लोग आएँगे ,
माँ दिल्ली वाले आँसू लाख भी बहाएँगे ,
माँ टीवी में मेरे नाम के चर्चे सुने जाएँगे,
झूठी आस्था के स्मारक बनाए जाएँगे ।।
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